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Shri Guru Grand sahib ji

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यदि कोई लंगर लगा लें, किसी को कुछ दान देदे, किसी मंदिर आदि का निर्माण करवा लें, या फिर कुछ और अच्छे काम कर लें; यह सारे काम तो सिर्फ एक जगह तक ही सीमित हैं इससे सिर्फ कुछ लोगों को ही फायदा होगा। लेकिन अगर तुम कोई कविता रचते हो, किताब लिखते हो तो वह न केवल तुम तक,किसी शहर तक, राज्य तक, देश तक, बल्कि विदेशों की सीमाओ को भी पार कर जाती हैं। श्री गुरू गं्रथ साहिब जी न केवल सिखो तक, किस शहर तक, किसी देश तक बल्कि संपूर्ण विश्व में हैं। और उनका फायदा सभी उठा सकते हैं। —अति सतिकार श्रानी शेर सिंह जी।  आखिर क्यों करी ग्रंथ की स्थापना  जब गुरू अर्जुन देव जी को गुरू बना दिया गया तब उनके बड़े भाई प्रिथी चंद को यह पसंद नही आया कि उन्हे जगह अर्जुन देव जी को गुरू बना दिया जाए। और वह मन ही मन मेंं गुरू जी से ईर्ष्या करने लगा। तब उनका एक बेटा था मिहरवान। जिसने अपने पिता को गुरू साबित करने के लिए उसने अपनी बाणी ही लिखनी शुरू कर दी और उसने नानक पद लिखना भी शुरू कर दिया। जब गुरू सिखों को यह पता चला कि मिहरवान ने कच्ची बाणी लिखनी शुरू कर दी है तो उन्होने इसकी शिकायत गुरू जी को दी। तब गुरू जी ने गुरू नान

The meaning of #Waheguru

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       एक बार #गुरू नानक देव जी के पास एक व्यक्ति आया।जो गरू जी के प्रति काफी श्रद्धा रखता था। उसने गुरू जी से कहा कि गुरू जी आप मुझे कुछ ऐसा बताए जिससे मुझे #चार पदार्थ* (धर्म, अर्थ,  काम,  मोक्ष)मिल जाए। गुरू जी ने उससे कहा कि तुम वाहेगुरू नाम जाप किया करों।            उसने आगे पूछा लेकिन सतगुरू जी आप मुझे इसका अर्थ तो बतायों। फिर सतगुरू जी ने उससे कहा कि वा का अर्थ हैं #वासुदेव। जो प्रत्येक स्थान पर वास करता हैं। जिसका निवास प्रत्येक ह्दय में हैं। फिर ह शब्द का अर्थ हैं #हरि जो हरेक वस्तु, घट में हैं। ग शब्द का अर्थ हैं #गोबिंद । ग शब्द इंदियोंं के लिए हैं। जो इंद्रियों को भी जानता है। लेकिन इंद्रियां जिसे नही जानती। र शब्द का अर्थ हैं #राम जो प्रत्येक  स्थान पर रमा हुआ। हैं।         इसी प्रकार सतगुरू जी ने दुसरा अर्थ बताया कि वाह शब्द आश्चर्य के लिए हम प्रयोग करते हैं। जब कुछ सबसे अजीब/अलग होता हैं तो हम वाह कहते हें। जैसे अंग्रेजी मेंं हम वॉउ कहते हें। गु शब्द संस्कृत का है जिसका अर्थ हैं अंधेरा। रू शब्द का अर्थ हैं प्रकाश। अर्थात जो अंधेरे में प्रकाश करता हैं उसे गुरू कहते हैं