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Showing posts from October, 2020

Guru nanak and Bhai Lahina ji

श्री गुरू अंगद देव जी जब खडूर साहिब में रहते थे तो वह हर साल ज्वाला देवी के दर्शन करने जाते थें, और उनके साथ ही गांव के अनेक संगत (लोग) जाती थी। उनके गांव में केवल एक ही ऐसा व्यक्ति था जो गुरू नानक देव जी को मानता था। एक दिन जब वह बाणी प-सजय़ रहा था, तो उसके मुंह से बाणी भाई लहणा जी (गुरू अंगद देव जी का पहला नाम) ने सुन ली। बाणी को सुनकर वह बहुत ही आर्कषित हुए। और उन्होने कहा कि तुम यह किसकी बाणी प-सजय़ रहे हो। तब उस सिख ने बताया कि यह गुरू नानक देव जी की बाणी है। गुरू नानक देव जी इस जगत में परमेश्वर का ही अवतार है। यह सुनकर उनके मन में भी इच्छा थी कि वह गुरू जी से मिले। उनके साथ रहते हुए कुछ दिनो में उन्होने बाणी याद कर ली। 1 कुछ समय बाद उनका वह दिन आ गया, ज बवह हर साल ज्वाला जी के पास जाते थें। इस बार उन्होने संगत से कहा कि इस बार हम करतारपुर साहिब के रास्ते से चलेगंे। वह सपंूर्ण समूह की अगवाई करते थें, तो किसी में भी इतनी हिम्मत नहीं थी कि उनके विरूद्ध बोल सके। जब करतारपुर साहिब पहुंचे तो उन्होने सारी संगत को बाहर ही रहना को कहा 2 । भाई लहणा जी जब करतारपुर साहिब पहुंचे तो गुरू नानक दे

Guruduwara Manji Sahib Baouli Sahib, Ambala City, Haryana

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 गुरूद्वारा मंजी साहिब अंबाला का प्रसिद्ध स्थान है। जहां हर रोज काफी मात्रा में श्रद्धालु हाजिरी भरते है। इसका पूरा नाम गुरूद्वारा मंजी साहिब बाउली साहिब है। यह वर्तमान में अंबाला शहर का एक सबसे ज्यादा प्रसिद्ध स्थान है। यहां पर गुरू हरगोंिबंद साहिब जी जब गवालियर गये थे तो एक दिन के लिए रूके थे। उस समय संगत ने गुरू जी को आग्रह किया कि यहां पर पानी की काफी कमी है। गुरू जी ने संगत की बेनती पर जमीन पर एक निशान लगाया। और कहा कि इस स्थान पर खुदाई शुरू करों। वहां पर जल का कुंआ था। जिसके बाद गुरू जी गवालियर चले गए। फिर जब गवालियर से वापस अमिृतसर जाते हुए दुबारा से इसी स्थान पर आए तब तक बाउली साहिब पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी ३ङ्म  गुरू जी ने बाउली साहिब को आशीर्वाद दिया कि जो भी इसके जल को पीएगा व स्नान करेगा; उसके सारे दुख दूर होगे और उसकी मनोकामना पूरी होगी। इस स्थान पर गुरू गोबिंद सिंह जी जब लखनौर साहिब (ननकाने घर) में आए थे तो वह कई बार अपने साथियों के साथ इस स्थान पर शिकार खेलते, व संगतों को तारते हुए कई बार इस स्थान को अपने चरण कमलों से नवाजा। आज यह अंबाला का पुराना व एतिहासिक गुरूद्व

Bhai Japreet Singh Ji Batinda Wale|| Guruduwara Manji Sahib, Ambala City

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Bhai Ananavir Singh ji USA || Guruduwara Manji Sahib|| Ambala City

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Shri Guru Nanak's Story

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lrxq: ukud nso th o uokc nkSyr [kku एक बार नवास दौलत खान गुरू नानक देव के पास आया। और उसने गुरू जी को कहा कि गुरू जी आप तो सारे ही धर्मों को मानते हों। फिर आज आप हमारे साथ नमाज क्यों नहीं पढ़ने चलते। सतगुरू जी ने कहा  ठीक है लेकिन वहां पर हमारे साथ अन्य कोई होना चाहिए। सतगुरू जी उसके साथ चल पड़ंे। भाई संतोख सिंह जी अपने ग्रंथ नानकप्रकाश मे लिखते है कि वहंा पर गुरू जी को नमाज पढ़वाने के लिए लेकर जा रहे नवाब के साथ अनेक ही लोग थें। उसका एक सेवादार भी था जो थोड़ा चालक था, लेकिन वह भी सतगुरू जी की अवस्था नहीं जान पाया। और उसने सतगुरू जी को कहा कि गुरू जी नवाब का मन नहीं था यहां पर लेकिन मेरा मन तो यही पर था। सतगुरू जी ने कहा कि तुम्हारा मन भी यहां नहंी था। तुम भी अपने घर में थोडी के बच्चें की चिंता कर रहे थे कि मैं उसे खुला ही छोड़ आया हूं। कहीं वह कुंए में न गिर जाए। ऐसे में वह भी सतगुरू जी को जान गया, कि यह कोई आम संत नहीं है, बल्कि ईश्वर का ही रूप है। फिर नवाब दौलत खान ने सतगुरू जी को सवाल किया कि गुरू जी मन को तो जितना भी एक स्थान पर टिकाने की कोशिश की जाएं पर यह तो टिकटा हीं नहीं है। तो स

Story-One and Haff friends

  किसी गांव में एक साहूकार रहता था,जिसका एक लड़का था। वह अपना सारा समय अपने मित्रों के साथ ही बिताता था। जिसके कारण उसका पिता उससे काफी नाराज रहता था।  एक दिन उसने अपने पुत्र को कहा कि वह अपने सारे मित्रों को किसी काम के लिए बुलाए। उसने अपने पिता की बात मानकर अपने मित्रोंं को उसके पास आने को कहा। लेकिन उसके पास कोई भी नही आया। जिससे वह निराश हो गया। बाद में उसके पिता ने उसे कहा कि उसके भी मित्र है जो किसी भी काम को करने के लिए उसे कभी मना नहीं करते।  उसके पुत्र ने उससे पूछा कि पिता जी, आपके कितने मित्र है तो उसने कहा कि मेरे डेढ़ मित्र है। इस पर, उसको काफी हैरानी हुर्ई कि डेढ़ मित्र। फिर उसका पिता उसे अपने मित्रोंं से मिलाने के लिए ले गया।  सबसे पहले वह एक व्यक्ति के पास गया। जिसने उसके पिता व उसका स्वागत किया और उनसे पूछा कि मित्र बताओंं तुमे कितनी धन की आवश्यकता है। तुम इतनी रात को आए हों ँ क्या कोई आर्थिक तंगी है। इस पर, उसके पिता ने उसे कहा कि वह तो केवल अपने पुत्र को उससे मिलाने के लिए आया है। फिर वह अपने एक और मित्र के पास चला गया।  और उसके दूसरे मित्र ने उसके पिता को