The meaning of #Waheguru
एक बार #गुरू नानक देव जी के पास एक व्यक्ति आया।जो गरू जी के प्रति काफी श्रद्धा रखता था। उसने गुरू जी से कहा कि गुरू जी आप मुझे कुछ ऐसा बताए जिससे मुझे #चार पदार्थ* (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष)मिल जाए। गुरू जी ने उससे कहा कि तुम वाहेगुरू नाम जाप किया करों।
उसने आगे पूछा लेकिन सतगुरू जी आप मुझे इसका अर्थ तो बतायों। फिर सतगुरू जी ने उससे कहा कि वा का अर्थ हैं #वासुदेव। जो प्रत्येक स्थान पर वास करता हैं। जिसका निवास प्रत्येक ह्दय में हैं। फिर ह शब्द का अर्थ हैं #हरि जो हरेक वस्तु, घट में हैं। ग शब्द का अर्थ हैं #गोबिंद । ग शब्द इंदियोंं के लिए हैं। जो इंद्रियों को भी जानता है। लेकिन इंद्रियां जिसे नही जानती। र शब्द का अर्थ हैं #राम जो प्रत्येक स्थान पर रमा हुआ। हैं।
इसी प्रकार सतगुरू जी ने दुसरा अर्थ बताया कि वाह शब्द आश्चर्य के लिए हम प्रयोग करते हैं। जब कुछ सबसे अजीब/अलग होता हैं तो हम वाह कहते हें। जैसे अंग्रेजी मेंं हम वॉउ कहते हें। गु शब्द संस्कृत का है जिसका अर्थ हैं अंधेरा। रू शब्द का अर्थ हैं प्रकाश। अर्थात जो अंधेरे में प्रकाश करता हैं उसे गुरू कहते हैं। और प्रत्येक क्रिया को देखकर उसकी प्रशंसा करनी हैं वाहे गुरू।
सतगुरू जी के उपदेश सुनकर वह उनका अनुसरण करने लगा।
*धर्म -अनुशासन। अरथ - संपत्ति। काम - इच्छा। मोक्ष - मुक्ति।
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