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Guru Arjan Dev Sacrifices for Truth

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Nothing in this world lasts forever. Everything is temporary… well there is something that actually does last forever, do you know what that is?   The truth.   Truth lasts forever. And the teachings of the True Guru are perfectly true. And do you know what happens when the world is confronted with Truth? The world freaks out. So you can imagine how much the world freaked out with Guru Arjan Dev, who wrote banis like Sukhmani Sahib, and who compiled the whole Aad Granth! Because he delivered the Ultimate Truth to the world, the worst ugliness and violence of the world came for him. But he knew these forces would come and accepted it as part of God’s Will. The world used two main people to create the drama of ugliness and violence. One was the emperor and one was a person in the emperor’s court. His name was Chandu,  "I am a royal courtier!!! I made it to the top! Aren’t I so powerful!? I have more power than almost anyone in the country! I now have the power of the emperor!"

Shri Guru Arjan Dev Ji and his sahidi

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Shri Guru Arjan Dev Ji गुरु अर्जन देव जी ,  जिनका जन्म रविवार २ मई १५६३ सिख धर्म के चौथें गुरु राम दास जी व माता भाणी जी के घर गोइंदवाल, पंजाब में हुआ। शहीदों के सिरताज श्री गुरू अर्जुन देव जी एक म हान विभूति संत सतगुरू, कवि थे। वह गुरु राम दास और गुरु अमर दास की बेटी बीबी भानी के सबसे छोटे पुत्र थे। जिनकों जन्म के कुछ समय बाद अपने नाना गुरू अमरदास जी से वर मिला था कि हमारा दौता बाणी का बोहिथा अर्थात जहाज बनेगा। जिन्होंने सच्ची गुरबाणी की रचना कर व ऊँची कुर्बानी से सुनहरे, अविस्मरीणय व अदभुत इतिहास का सृजन किया। श्री गुरू अर्जुन देव जी द्वारा संपादित श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी जिसे 'गुरबाणी जग महि चानण ' व ' सर्व सांझी गुरबाणी' कहा जाता है। इस अमोलक ग्रन्थ से प्रत्येक जाति, वर्ग व सम्प्रदाय प्रेरणा प्राप्त कर सकता है। इसके द्वारा हिन्दु को प्रभु के दर्शन होते हैं, मुसलमान को खुदा व सिख को अकाल पुरख के। इस महान ग्रन्थ में हरि 8344 बार, प्रभु 1371 बार, ठाकुर 216 बार, राम 2533 बार, गोपाल 491 बार, नारायण 85 बार, अल्लाह 49 बार, पारब्रह्म 324 बार, एवं करतार 220 बार आया

The meaning of #Waheguru

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       एक बार #गुरू नानक देव जी के पास एक व्यक्ति आया।जो गरू जी के प्रति काफी श्रद्धा रखता था। उसने गुरू जी से कहा कि गुरू जी आप मुझे कुछ ऐसा बताए जिससे मुझे #चार पदार्थ* (धर्म, अर्थ,  काम,  मोक्ष)मिल जाए। गुरू जी ने उससे कहा कि तुम वाहेगुरू नाम जाप किया करों।            उसने आगे पूछा लेकिन सतगुरू जी आप मुझे इसका अर्थ तो बतायों। फिर सतगुरू जी ने उससे कहा कि वा का अर्थ हैं #वासुदेव। जो प्रत्येक स्थान पर वास करता हैं। जिसका निवास प्रत्येक ह्दय में हैं। फिर ह शब्द का अर्थ हैं #हरि जो हरेक वस्तु, घट में हैं। ग शब्द का अर्थ हैं #गोबिंद । ग शब्द इंदियोंं के लिए हैं। जो इंद्रियों को भी जानता है। लेकिन इंद्रियां जिसे नही जानती। र शब्द का अर्थ हैं #राम जो प्रत्येक  स्थान पर रमा हुआ। हैं।         इसी प्रकार सतगुरू जी ने दुसरा अर्थ बताया कि वाह शब्द आश्चर्य के लिए हम प्रयोग करते हैं। जब कुछ सबसे अजीब/अलग होता हैं तो हम वाह कहते हें। जैसे अंग्रेजी मेंं हम वॉउ कहते हें। गु शब्द संस्कृत का है जिसका अर्थ हैं अंधेरा। रू शब्द का अर्थ हैं प्रकाश। अर्थात जो अंधेरे में प्रकाश करता हैं उसे गुरू कहते हैं