Posts

Showing posts from September, 2021

Guru Nanak & Bhai Lahana Ji(Guru Angad dev)

Image
ੴ श्री सतगुरू प्रसादि गुरू नानक देव जी ने एक बार हाथ मे पत्थर लिया और अपने पास खड़े सभी सिखो से पूछा कि यह क्या हैं? हमारे हाथ मे क्या है? पहले तो सिखों को हैरानी हुई कि गुरू जी के हाथ में तो सिर्फ पत्थर ही है फिर वह क्या पूछ रहे हैं। फिर वहां खड़े सभी सिखों ने कहा कि गुरू जी आपके हाथ में एक पत्थर ही हैं। गुरू जी ने अपने पुत्रों से पूछा कि हमारे हाथ में क्या हैं। उन्होने भी यही उत्तर दिया। उसके बाद गुरू जी ने भाई #लहणा जी से पूछा कि हमारे हाथ में क्या हैं। उन्होने कहा कि गुरू जी, लहणें में इतनी समर्था नहीं है कि वह बता पाए कि गुरू जी आपकें हाथ में क्या—क्या हैं। हर किसी ने तो उनके हाथ में बस #पत्थर ही कहा था लेकिन भाई लहणा ही गुरू जी के चोज को समझ पाया। गुरू जी उससे काफी खुश हुए। #GuruNanakDev #GuruAngadDevJI #Religious Dhan Guru Nanak

Guru Nanak Biography In Small Word, Death

 ੴ श्री सतगुरू प्रसादि  ऐसा कोई हिंदु धर्म का नहीं है जिसें मुसलमान भी पसंद करते हों, मुसलमान धर्म मे भी कोई ऐसा नहीं है जिसे हिंदु भी पसंद करते हों। लेकिन गुरू नानक देव जी जिन्हें न केवल हिंदु उनके सिख है बल्कि मुसलमान व अन्य धर्म के लोग भी उनके अनुयायी हैं।जब गुरू जी का जन्म हुआ था तो उनके पिता महिता कालू जी ने पंडित को कहा था कि वह हमारे पुत्र का वह नाम रखा जो न तो हिंदुओं को पसंद हो बल्कि मुसलमानों व अन्य को भी पसंद हों। इसलिए उन्होने गुरू जी का नाम नानक रखा। गुरु जी का नाम  नानक शब्द के बहुत सारे विद्वानो ने अर्थ किए। नानक — न, अनक जिसके समान दुसरे न हों। एक प्रसिद्ध विद्वान का कथन है कि गुरू नानक देव जी से उनके समय में 3 करोड़ लोग मिले और जितने भी उन्हे मिले वह सभी ही उनके सिख बन गए। गुरू नानक देव जी ने चारों उदासीयां करने के बाद करतारपुर साहिब में आकर रहने लग गए। जहां पर उन्होने अनेकों अज्ञान, अन्याय, व धर्म से दुर हुए व्यक्तिों को ईश्वर से जोड़ा। अंतिम समय  एक दिन करतारपुर साहिब में तीन व्यक्ति आए और उन्होने गुरू जी से मिलने की इच्छा व्यक्त की। गुरू जी को जब पता चला कि कोई उनसे

Bhai Gurdas JI

Image
अगर आपको किसी बड़े व्यक्ति से मिलना है तो सबसे पहले आपको उस व्यक्ति के असिस्टेंट से मिलना होगा। अगर आप गुरबाणी के अर्थ करना चाहते हो तो सबसे पहले आपको भाई गुरदास जी की बाणी पढ़नी होगी। भाई गुरदास को गुरबाणी का पहला दुभाषिया माना जाता है। उनके लेखन को सिख पवित्र शास्त्रों को समझने की कुंजी मानते है। Bhai Gurdas JI कविवर संतोख सिंह द्वारा लिखा गुरू नानक देव जी का इतिहास भी भाई गुरदास जी की ही प्रथम वार की व्याख्या हैं। उन्होंने 40 वार (गाथागीत) और 556 कबीत (पंजाबी कविता के दोनों रूप) लिखे। इन लेखों को सिख साहित्य और दर्शन का सर्वश्रेष्ठ नमूना माना जाता है। उन्हें 1604 में पांचवें सिख गुरु, गुरु अर्जन देव जी द्वारा संकलित सबसे पवित्र सिख ग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब या आदि ग्रंथ के लिखने का भी अवसर मिला। जन्म  भाई गुरदास के जन्म की सही तारीख ज्ञात नहीं है लेकिन यह कहीं 1543-1553 ईस्वी के बीच का है। 1579 ई. में चौथे सिख गुरु, गुरु राम दास के प्रभाव में भाई गुरदास सिख बन गए। भाई गुरदास गुरु अर्जन देव जी की माता भानी के चचेरे भाई थे। भाई गुरदास ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गुरु अमर दास के मार्गदर्शन

भले अमरदास गुण तेरे तेरी उपमा तोहि बन आवै Guru Amardas ji

ੴ श्री सतगुरू प्रसादि   भले अमरदास गुण तेरे तेरी उपमा तोहि बन आवै गुरू अमरदास जी जिनका जन्म 23 मई,1479 को पिता तेजभान जी व माता लक्ष्मी के घर , गांव बासरके, जिला अमिृतसर मे हुआ। उनका विवाह माता मनसा देवी जी से हुआ। और उनके चार संतान हुए जिनमें से दो लड़के व दो लड़कियां। उनके घर में किसी भी समय की कोई समस्या नही थी। संत बनने की शुरुआत श्री गुरू अमरदास जी ने एक दिन अचानक ही निर्णय लिया कि इस जीवन मे खुशी-गम, दुख-सुख तो आते जाते रहते हैं लेकिन बहुत सारे विद्वान, सभी धर्म यही मानते है कि मनुष्य के शरीर में जन्म काफी योनियों के बाद मिलता हैं।  इस योनि मे ंअगर अपना उद्धार करवा लिया तब तो ठीक हैं अन्यथा द्वारा 84 लाख योनियों के बाद ही यह शरीर मिलता हैं। अंत उन्होने निर्णय लिया कि वह साल में छह महीनें तीथ यात्रा पर जाएगे। छह महीने घर पर व छह महीनें बाहर रहेगे। और उन्हाने गंगा पर जाना शुरू कर दिया। एक दिन जब वह वापस गंगा नदी पर स्न्नान करके आ रहे थें तो अचानक उनकी मुलाकात एक पडिंत से हो गई जो काफी विद्वान, प्रभावशाली था। लेकिन जब उसने गुरूदेव जी के पैर पर कुछ चिन्ह् देखे तो उसे अन

Guru Nanak Marriage with Mata Sulkani Devi in Batala

ੴ श्री सतगुरू प्रसादि श्री गुरू नानक देव जी जो हमेशा ही संसार को ईश्वर से जोड़ने व हमेशा ही ईश्वर के ध्यान में लगे रहते थें जिससे उनके ​पिता जी, माता जी व उनके सभी संबंधी काफी दुखी थें। तब उनके पिता जी ने ​सोचा कि यदि नानक का विवाह करवा दिया जाए तो वह शायद संसार के कार्य में रूचि लेना शुरू कर दें। जब उसके घर में प​त्नी आएगी तो वह अपना ध्यान गृहस्थी जीवन की तरफ लग जाएगा। इसी लिए उनके पिता जी ने उनकी बहन बीबी नानकी जी को कहा कि वह अपने भाई के लिए कोई अच्छी—सी लड़की देखे और उसका विवाह नानक से कर ​दें। तब उनकी बहन नानकी जी ने ही उनके लिए बीबी सुलखनी का चुनाव किया था और उनकी विवाह की अधिकतर तैयारियां भी उनके द्वारा ही हुई थी। माता सुलखनी जी जिनका जन्म पंजाब के गुरदासपुर जिले में पिता मुल चंद जी व माता चंदो रानी जी के घर हुआ। गुरु नानक का विवाह.बहुत सारे लेखकों ने गुरू जी के विवाह के कई दिलचस्प प्रसंख लिखे हैं। भाई संतोख सिंह जी लिखते है जब गुरू जी की बारात आती हैं तो उस समय उनके ससुराल में बारात को देखने का उत्साह होता है कि वह अपने सभी श्रृंगार भी गलत कर देते हैं। जो गहने कान में पहनने थ

बाबा श्री चंद जी श्री गुरू नानक देव जी के प्रथम साहिबजादें

बाबा श्री चंद जी श्री गुरू नानक देव जी के प्रथम साहिबजादें व ब्रहमगिआनी में से सबसे महान ब्रहमगिआनी। कुछ लोग अक्सर बाबा जी के बारें में कुछ गलत बाते करते है लेकिन जैसे सूरज के सामने जिनते भी बादल आ जाए कुछ समय बाद सूरज का प्रकाश से वह दुर हो ही जाते हैं। इसी तरह बाबा जी के बारे में जो गलत विचारधाराएं हैं वह भी एक दिन खत्म हो जाएगी। हम गुरूद्वारों, मंदिर जाते हैं ताकि हमारा ध्यान इस संसार से हटकर सुरति ईश्वर में लगेगे। लेकिन अगर हम वहां जाकर भी संसार की ही बात करेगे तो वहां जाने का फायदा। एक दिन श्री गुरू नानक देव जी सहजे ही अपनी बहन नानकी जी  के पास उनके घर आए। नानकी जी जान गए कि गुरू जी वास्तव में तो कभी भी बिना बुलाए नही आते आज आए है नहीं तो गुरू जी को पहले बुलाना पड़ता था। तो जरूर कोई-न कोई बख्शीश मिलेगी। उनकों गुरू जी ने कहा कि हम तो तुम्हारे दास ही हैं। बस दुनिया के कामों से व्यस्त थें। बीबी नानकी जी ने कहा कि गुरू जी आप सारे संसार को यह बताना कि आप व्यस्त थें लेकिन सत्य मे तो आप सबको इस संसार से, मोह से दुर करने के लिए आए हैं। गुरू जी को उन्होने कहा कि मेरे मन में एक इच्छा है अगर

सोढ़ी सुल्तान श्री गुरू रामदास जी Guru Ramdas JI Amritsar

Image
  सोढ़ी सुल्तान श्री गुरू रामदास जी  Guru Ramdas JI Amritsar श्री गुरू रामदास जी अगर आपसे पूछा जाए कि भारत में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध स्थान कौन-सा है तो कोई कहेगा कि ताज महल तो कोई वाराणसी लेकिन जब हरमंदिर साहिब के बारे में बात होगी तब हर कोई चुप रह जाएगा। लेकिन क्या हर किसी को बता है कि यह स्थान किसने बनवाया। यह स्थान सोढ़ी सुल्तान श्री गुरू रामदास जी द्वारा 1577 ईसवी में बनवाया गया। हरमंदिर साहिब इसलिए नही प्रसिद्धि कि वहां पर सोना लगा है क्योंकि यदि ऐसा होता तो वह केवल एकमात्र स्थान होता जों इतना प्रसिद्धि होता। उसकी प्रसिद्धि का मुख्य कारण है 24 घंटे होने वाला बाणी का कीर्तन।  प्रकाश श्री गुरू रामदास जी जिनका प्रकाश  कार्तिक वदी 2, विक्रमी संवत1591 (24 सितंबर सन्1534) को पिता हरदासजी के घर माता दयाजी की कोख से लाहौर (अब पाकिस्तान में) की चूना मंडी में हुआ था। श्री गुरू रामदासजी सिखों के चौथे गुरु थे। उनका पहला नाम जेठा था। और छोटी उम्र में ही आपके माता-पिता का स्‍वर्गवास हो गया। इसके बाद बालक जेठा अपने नाना-नानी के पास बासरके गांव में आकर रहने लगे।  विवाह कुछ सत्‍संगी लोगों के साथ बचपन

Shri Guru Arjan Dev Ji and his sahidi

Image
Shri Guru Arjan Dev Ji गुरु अर्जन देव जी ,  जिनका जन्म रविवार २ मई १५६३ सिख धर्म के चौथें गुरु राम दास जी व माता भाणी जी के घर गोइंदवाल, पंजाब में हुआ। शहीदों के सिरताज श्री गुरू अर्जुन देव जी एक म हान विभूति संत सतगुरू, कवि थे। वह गुरु राम दास और गुरु अमर दास की बेटी बीबी भानी के सबसे छोटे पुत्र थे। जिनकों जन्म के कुछ समय बाद अपने नाना गुरू अमरदास जी से वर मिला था कि हमारा दौता बाणी का बोहिथा अर्थात जहाज बनेगा। जिन्होंने सच्ची गुरबाणी की रचना कर व ऊँची कुर्बानी से सुनहरे, अविस्मरीणय व अदभुत इतिहास का सृजन किया। श्री गुरू अर्जुन देव जी द्वारा संपादित श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी जिसे 'गुरबाणी जग महि चानण ' व ' सर्व सांझी गुरबाणी' कहा जाता है। इस अमोलक ग्रन्थ से प्रत्येक जाति, वर्ग व सम्प्रदाय प्रेरणा प्राप्त कर सकता है। इसके द्वारा हिन्दु को प्रभु के दर्शन होते हैं, मुसलमान को खुदा व सिख को अकाल पुरख के। इस महान ग्रन्थ में हरि 8344 बार, प्रभु 1371 बार, ठाकुर 216 बार, राम 2533 बार, गोपाल 491 बार, नारायण 85 बार, अल्लाह 49 बार, पारब्रह्म 324 बार, एवं करतार 220 बार आया