अगर किसी सत्य से किसी का नुक्सान हो तो वह नहीं बोलना चाहिए।-Sodhi Sultan Shri Guru Ramdas Ji

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गुरू रामदास जी जिनका प्रकाश पर्व आने वाली 23 अक्टूबर को न केवल भारत मे बल्कि विश्वभर मेंं अनेक गुरूनानक नाम लेवा संगत बना रही हैं। अगर हम किसी का जन्मदिवस पर काफी धुमधाम से बनाए लेकिन जिसका जन्मदिन है उसकों ही न सुनें तो वह बेकार ही होगा।

एक समय गुरू रामदास जी ने अपने सिखों को एक कहानी सुनाई जिसमें उन्होनें यह बताया कि अगर किसी सत्य से किसी का नुक्सान हो तो वह नहीं बोलना चाहिए।
किसी समय एक राजा के महल के सामने एक ऋिषी रहते थें जो कभी—कभी महल मे भी आते—जाते रहते थें। राजा का एक पुत्र था जिसकी शादी कुछ दिन पहले ही हुई थी। एक दिन उसके पुत्र की पत्नी को रात को नींद नहीं आ रही थी, उसके पास एक बहुत सुंदर कटार पड़ी थी। उसने वह कटार उठा ली। लेकिन अचानक ही उसके हाथ से कटार छूट गई व उसके पुत्र के पेट में लग गई। और उसकी उसी क्षण मौत हो गई। सजा के भय व अपमान से बचने के लिए उसकी रानी ने इस लापरवाही के लिए उस साधु को दोषी बना दिया। जो उनके महल के सामने रहता था। उसने तर्क दिया कि रात को वह साधु उनके पास आया और उसके पति की हत्या कर दी। राजा के एकमात्र पुत्र की हत्या ने उसे काफी व्याकुल कर दिया। और उसने उस साधु को पकड़ने का आदेश दिया। 
लेकिन राजा ने उसे साधु होने कारण व अपने पुत्र की मौत की पीड़ा से व्याकुल होकर उसने ज्यादा सजा ने देते हुए बस उसके एक हाथ काटने की सजा दे दी। लेकिन उस साधु को पसंद नहीं आया कि उसको बिना किसी कारण के ही सजा मिल गई। एक दिन उसे किसी ने एक ज्योदिष के बारे में बताया जो काफी प्रसिद्ध थें। जिन्होनें काफी समस्या का निवारण किया था। उसने उस साधु के पास जाने का निर्णय लिया और उसके  पास चला गया। उसके घर पर उसकी पत्नी ने उसका काफी अपमान किया। कुछ समय बाद वह ज्योतिष भी वहां आ गया जिससे मिलने के लिए वहां पर आया था। 
उसकी पत्नी ने उसकों भी भला—बुरा ही कहा। ज्योतिष उस साधु को बाहर ले गया। साधु ने प्रश्न किया कि मैं तों अपने प्रश्नों के दुविधा से बचने के लिए आया था। लेकिन यहां पर तो तुम भी अंशाति से घिरें हुए हों। ज्योतिष ने कहा कि तुम मेरी बात को छोड़कर अपनी तरफ ध्यान दों। फिर उस साधु ने अपनी सारी कहानी बताई। तो उसने उसे फिर काफी सोच—समझकर कहा कि तुम पिछले जन्म में भी साधु थें।
एक दिन तुम किसी जंगल में तपस्या कर रहें थें। तभी तुम्हारें आगे से एक धेनु गाय निकली जो काफी सहमी, व डरी हुई थी। उसके पीछे एक कसाई आ रहा था। उसने तुमसे उस गाय के बारे में पूछा तो तुमने कुछ न बोलकर केवल हाथ से ही इशारा कर दिया।
कसाई ने उस दिशा में जाकर गाय को पकड़ लिया और उसकी हत्या कर दी। तुम्हारें उस सच के कारण उस गाय का जीवन समाप्त हो गया। इसी लिए वह गाय इस जन्म में रानी बनी और वह कसाई उसका पति। एक दिन किसी कारण से उसकी पत्नी जो पिछले जन्म में गाय थी, उसकी हत्या उसके पति ने जो पहले कसाई था ने कर दी थी। पिछले जन्म में तुमने इशारा करके गाय को मारवा दिया था। और इसलिए अबकी बार वहीं गाय जो अब रानी है, ने  दंड तुम्हारें उपर लग गया। तुमनें पिछले जन्म् में गाय की हत्या के लिए हाथ से इशारा किया था। और इसी कारण इस जन्म में तुम्हारा एक हाथ चला गया। 
और उसके बाद उस ज्योतिष्य ने अपने बारे में बताया कि वह पिछले जन्म में कौआ था और उसकी पत्नी गधी। उसकी पीठ पर एक घाव था। जिसपर मैं अक्सर चढ़ जाता था। 
एक दिन मैं उसकी पीठ पर घाव पर बैठ गया और मेरी चौंच उसी मैं फस गई। वह एक नदी में गई जहां अत्यधिक तेज प्रवाह के कारण हम दोनों की मौत हो गई। इसकी कारण वह इस जन्म में मेरी पत्नी हैं व मेरे साथ हर किसी आने—जाने वाले को बूरा कहती है और मुझसे अपने व्यवहार का बदला लेती हैं।
गुरू रामदास जी ने कहा कि जो हम करते है उसका फल अवश्य मिलता हैं। अगर ​तुम किसी को किसी विषय में सत्य कहते हो लेकिन उस सत्य से किसी का नुक्सान हो तो उसका फल भी हमें ही मिलता हैं। इसीलिए सत्य भी काफी सोच—समझकर बोलना चाहिए। 


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