Guru nanak and Bhai Lahina ji
श्री गुरू अंगद देव जी जब खडूर साहिब में रहते थे तो वह हर साल ज्वाला देवी के दर्शन करने जाते थें, और उनके साथ ही गांव के अनेक संगत (लोग) जाती थी। उनके गांव में केवल एक ही ऐसा व्यक्ति था जो गुरू नानक देव जी को मानता था। एक दिन जब वह बाणी प-सजय़ रहा था, तो उसके मुंह से बाणी भाई लहणा जी (गुरू अंगद देव जी का पहला नाम) ने सुन ली। बाणी को सुनकर वह बहुत ही आर्कषित हुए। और उन्होने कहा कि तुम यह किसकी बाणी प-सजय़ रहे हो। तब उस सिख ने बताया कि यह गुरू नानक देव जी की बाणी है। गुरू नानक देव जी इस जगत में परमेश्वर का ही अवतार है। यह सुनकर उनके मन में भी इच्छा थी कि वह गुरू जी से मिले। उनके साथ रहते हुए कुछ दिनो में उन्होने बाणी याद कर ली। 1 कुछ समय बाद उनका वह दिन आ गया, ज बवह हर साल ज्वाला जी के पास जाते थें। इस बार उन्होने संगत से कहा कि इस बार हम करतारपुर साहिब के रास्ते से चलेगंे। वह सपंूर्ण समूह की अगवाई करते थें, तो किसी में भी इतनी हिम्मत नहीं थी कि उनके विरूद्ध बोल सके। जब करतारपुर साहिब पहुंचे तो उन्होने सारी संगत को बाहर ही रहना को कहा 2 । भाई लहणा जी जब करतारपुर साहिब पहुंचे तो गुरू नानक दे...